Welcome To Shri Sai Ram Law College

एक परिचय

’’हम, भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व्.सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतान्त्रिक गणराज्य बनाके लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतन्त्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता तथा अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बन्धुता बढ़ाने के लिए दृढ़संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख २६ नवम्बर, १९४९ ई.(मिती मार्गशीष शुक्ल सप्तमी, संवत् २००६ विक्रमी) को एतद्द्वार इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।’’

भारत का उच्चतम न्यायालय भ्रष्टाचार के विरूद्ध संघर्ष कर रहा है। ’लोकहितवाद’ के माध्यम से हमारा उच्चतम न्यायालय उच्च पदों पर आसीन राजनीतिज्ञों तथा नौकरशाही द्वारा किए गए अनेक घोटालों, घपलों और रिश्वतखोरी की जाँच करने तथा उनके विरूद्ध समुचित कार्यवाही करने के

लिए केन्द्रीय जाँच ब्यूरो को आदेश दे रहा है और उन्हें सरकार या पुलिस द्वारा दबाने नहीं दे रहा है। हमारे यहाँ शिक्षा का उद्देश्य किशोरों एवं तरूणों को उपाधियों से विभूषित कर देना मात्र नहीं है। सामान्य पाठ्यक्रम शिक्षा के साथ उन्हें ऐसी दीक्षा प्रदान करने का भी प्रयास है जिससे वे एक विश्वसनीय जीवन-दर्शन को विकसित कर सकें एवं ऐसे उत्तरदायी नागरिक बन सकें जो देश के सामाजिक एवं आर्थिक पुनर्निर्माण में मुख्य भूमिका निभा सकें। इसलिए प्रत्येक नवागत से आशा है कि महाविद्यालय की गरिमा बनाये रखेगा।

मौलिक अधिकारों को आधार बनाकर अपने कर्तव्यों को भूल जाना गम्भीर समस्याओं को जन्म दे रहा है। यदि हम अपने मौलिक अधिकारों के साथ-साथ मौलिक कर्तव्यों को अपने जीवन यात्रा का आधार बनायें तो एक स्वस्थ एवं स्वच्छ भारत का निर्माण सम्भव हो सकता है।

Principal's Message

आधुनिक समाज में शैक्षिक परिवेष का यह दायित्व है कि समाज में व्याप्त समस्याओं जैसे- मानव मूल्यों का क्षरण, पाष्चात्य संस्कृति का आकर्षण और इन कारणों से बढ़ता अपराध और भ्रष्टाचार से समाज को मुक्त रखने के लिए आज के युवा वर्ग को इस प्रकार षिक्षित करना कि उनके लिए षिक्षा केवल आय का साधन न बन कर एक सम्पूर्ण व्यक्तित्व के विकास में सहायक बने।
हमारी षिक्षा का उद्देष्य युवाओें को उपाधियों से विभूषित कर देना मात्र नहीं है बल्कि हमारा प्रयास है कि उन्हें पाठ्यक्रमीय षिक्षा के साथ एक ऐसी संस्कारित षिक्षा प्रदान करें जिससे वे एक विष्वसनीय जीव दर्षन एवं अन्याय मुक्त वातावरण का सृजन कर सके। वे एक ऐसे उत्तरदायी नागरिक बने जो देष के सामाजिक एवं आर्थिक पुनर्निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके। इसके लिए हम नवागत षिक्षार्थियों से यह अपेक्षा करेंगें कि वे षिक्षा ग्रहण करते हुए संस्था की गरिमा बनाये रखेंगे।
वर्तमान समय में हमारा यह दायित्व होगा कि युवाओं कि बदलती हुयी आकांक्षा तथा प्रतियोगिता की इस दौर में हम उन्हें ऐसा शैक्षिक वातावरण प्रदान करे जिससे छात्र-छात्राओं को अपने देष तथा संस्कृति से लगाव हो और वे अपने अतीत पर गर्व कर सकें। हमें प्रसन्नता है कि हमारे कुषल प्राध्यापकों के सान्निध्य में संस्थान के समस्त षिक्षार्थी अपने वांछित उद्देष्य को पूर्ण कर रहे हैं। इसके लिए समस्त महाविद्यालय परिवार बधाई के पात्र है।....
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Courses @ Ghanshyam Urvashi Law College

LLB Course

Bachelor of Legislative Laws [LLB]

Bachelor of Laws, abbreviated as LL.B. is the degree in law that is conferred upon graduation from a college of law. The degree is awarded after the successful completion of 3-years academic studies in law subjects.

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मूल कर्तव्य

मूल कर्तव्य, मूल संविधान में नहीं थे। इन्हें ४२वें संविधान द्वारा जोड़ा गया है। ये रूस से प्रेरित होकर जोड़े गये तथा संविधान के भाग ४(क) के अनुच्छेद ५१-अ में रखे गये है। ये कुल ११ है।

५१.अ: मूल कर्तव्य-भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह-

  • (क)  संविधान का पालन करें और उसके आदर्शें, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे।
  • (ख)  स्वतन्त्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखे और उनका पालन करें।
  • (ग) भारत का प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्य रखें।
  • (घ) देश की रक्षा करे और आहवाहन किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करे।
  • (ङ) भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भातृत्व की भावना का निर्माण करे जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे हो, ऐसी प्रथाओं का त्याग करें जो स्त्रियों के सम्मान के विरूद्ध हो।
  • (च)  हमारी सामाजिक संस्कृति और गौरवशाली परम्परा का महत्व समझे और उसका परिरक्षण करें।
  • (छ)  प्राकृतिक पर्यावरण की, जिस के अन्तर्गत वन, झील, नदी और वन्य जीव है, उनकी रक्षा करें उसका संवर्धन करें तथा प्राणि मात्र के प्रति दयाभाव रखें।
  • (ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें।
  • (झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखे और हिंसा से दूर रहे।
  • (ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत् प्रयास करे, जिनसे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धि की नई ऊचाँइयों को छू ले।
  • (ट) यदि माता-पिता या संरक्षक है, छह वर्ष से चौदह वर्ष तक की आयु वाले अपने, यथास्थिति, बालक या प्रतिपाल्य के लिए शिक्षा का अवसर प्रदान करे।

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