From The Founder's Desk

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Dr. Ghanshyam Singh


Leaders are not born, they are made, None climbed the Everest without the help and aid, Discover the potential of each child, Let them fly, Let them think wild,Nurture their abilities, build up their strength, Encourage them to swim that extra length, And as they climb up rung by rung, And as they climb up rung by rung, Remember the motto is-catch them young.

किसी भी राष्ट्र की समृद्धि का आधार शिक्षा है यह न केवल समाज को अपितु सम्पूर्ण राष्ट्र को एक गति प्रदान करता है।

भारत वर्ष में युवाओं की संख्या यदि वैश्विक पटल पर देखा जाय तो सबसे अधिक है और युवा वर्तमान की शक्ति तथा भविष्य की आशा है। इसलिए उनको शिक्षित करना राष्ट्र का दायित्व है।

इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु वर्षों पहले मन में एक सपना सजाए मैनें डिग्री कालेज उपरदहां की नींव रखी। यह शिक्षा के क्षेत्र में मेरा पहला बड़ा प्रयास था जो आगे चलकर घनश्याम ग्रुप ऑफ इन्स्टीट्यूशन्स के रूप में परिणत हुआ और इस विराट पथ के वाहक बने महाविद्यालय के प्रबन्धक श्री विनोद कुमार सिंह " अशोक जी।

एक शिक्षाविद् होने के नाते यह मेरा परम कर्तव्य एवं उत्तरदायित्व था कि मै अपने क्षेत्र एवं परिक्षेत्र के युवाओं छात्र/छात्राओं एवं जनता में न सिर्फ शिक्षा का प्रसार कर सकूँ अपितु मेरा उद्देश्य उच्च गुणवत्ता एवं रोजगार परक सस्ती तथा समृद्धि शिक्षा के माध्यम से संसाधन विहीन ग्रामीणाचल के लोगो को समाज एवं राष्ट्र की मुख्य धारा से जोड़ना था और आज इस कार्य की सफलता खुद को अभिभूत करने वाली है। मुझे पता था कि समाज या राष्ट्र निर्माण किसी एक क्षेत्र के विकास से ही संभव नहीं है।

इसके लिए समाज का चतुर्दिक विकास आवश्यक है इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु संस्थानों की स्थापना की गयी जो अपने उद्देश्य की पूर्ति में सतत् प्रयत्नशील है। इन संस्थानों में संचालित विभिन्न संकाय उच्च स्तरीय शिक्षा एवं पठन पाठन के लिए प्रतिबद्ध है। क्षेत्र की जनता और अभिभावको का भी शुक्रगुजार हूँ। जिनका परस्पर सहयोग मुझे निरन्तर प्राप्त होता रहा है साथ ही संस्थान से जुड़े प्राचार्य/प्रधानाचार्य, शिक्षकगण एवं समस्त शिक्षणेत्तर कर्मचारी निश्चित ही बधाई के पात्र है। जिनकी कर्मठता के कारण ये समस्त उपवन रूपी संस्थान अपनी सुन्दर छटा से सभी को आकर्षित एवं लाभान्वित कर रहे है।

Regards,
Dr. Ghanshyam Singh